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आज एक पुरानी तस्वीर देखी,
तस्वीर मे एक हँसी देखी,
फिर थोडा ध्यान दिया तो, पाया
हँसी के पीछे का चेहरा, कुछ जाना पहचाना,
माँ को दिखया और पूछा ये कौन है?
माँ मुस्कुराई बोली, ये तू ही है प्यारे,
मै बोला, माँ अब वो हँसी कहा गयी
माँ फिर मुस्कुराई और बोली,
अब मै समझदार हो गया हु,
जीवन की दौड़ मै, कही खो गया हु,
वो बचपन की हँसी तो वही है,
बस उसको मुख पर चमकाने की कला भूल गया हु!!!!
-- गौरव मणि खनाल
तस्वीर मे एक हँसी देखी,
फिर थोडा ध्यान दिया तो, पाया
हँसी के पीछे का चेहरा, कुछ जाना पहचाना,
माँ को दिखया और पूछा ये कौन है?
माँ मुस्कुराई बोली, ये तू ही है प्यारे,
मै बोला, माँ अब वो हँसी कहा गयी
माँ फिर मुस्कुराई और बोली,
अब मै समझदार हो गया हु,
जीवन की दौड़ मै, कही खो गया हु,
वो बचपन की हँसी तो वही है,
बस उसको मुख पर चमकाने की कला भूल गया हु!!!!
-- गौरव मणि खनाल
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3 Comments
very true.. really like this poem of yours.. i remember its your first one.. and no doubt one of your best! Keep it up :)
ReplyDeleteThanks dear.. :)
ReplyDeletenice lines sir.............
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