मिली सच्चाई - अंकिता जैन
Mili Sacchai - Ankita Jain


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इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ,
धीरे से मुझे पास बुलाकर ,
कहने लगी अब शामत आई ,
आँखों में आंसू भरकर ,
अपनी कहानी मुझे सुनाई ,
कहने लगी सपने में मैंने ,
खतरे सी की इक आहट पाई ,
अपने दिल से मुझे हटाकर ,
झूठ की चादर सबने चढ़ाई,
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी …..
 





बदल गयी रिश्तों की भाषा ,
प्यार ने ली इक नयी परिभाषा ,

सादगी से दूर कहीं अब ,
प्रदर्शन पर तीर है साधा ,
  कॉलेज में जब पड़ने जाएँ ,
टीचर, लेकचर सभी भुलाएँ ,

हर दिन इक नयी कहानी बनाये ,

झूठ के हर रिश्ते अपनाएं ,
वफ़ा हटाकर हर व्यक्ति ने ,
बेवफाई दिल में है बसाई
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ….
                      
                               अंकिता जैन

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