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इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ,
धीरे से मुझे पास बुलाकर ,
कहने लगी अब शामत आई ,
आँखों में आंसू भरकर ,
अपनी कहानी मुझे सुनाई ,
कहने लगी सपने में मैंने ,
खतरे सी की इक आहट पाई ,
अपने दिल से मुझे हटाकर ,
झूठ की चादर सबने चढ़ाई,
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी …..
बदल गयी रिश्तों की भाषा ,
प्यार ने ली इक नयी परिभाषा ,
सादगी से दूर कहीं अब ,
प्रदर्शन पर तीर है साधा ,
कॉलेज में जब पड़ने जाएँ ,
टीचर, लेकचर सभी भुलाएँ ,
हर दिन इक नयी कहानी बनाये ,
झूठ के हर रिश्ते अपनाएं ,
वफ़ा हटाकर हर व्यक्ति ने ,
बेवफाई दिल में है बसाई
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ….
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ,
धीरे से मुझे पास बुलाकर ,
कहने लगी अब शामत आई ,
आँखों में आंसू भरकर ,
अपनी कहानी मुझे सुनाई ,
कहने लगी सपने में मैंने ,
खतरे सी की इक आहट पाई ,
अपने दिल से मुझे हटाकर ,
झूठ की चादर सबने चढ़ाई,
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी …..
बदल गयी रिश्तों की भाषा ,
प्यार ने ली इक नयी परिभाषा ,
सादगी से दूर कहीं अब ,
प्रदर्शन पर तीर है साधा ,
कॉलेज में जब पड़ने जाएँ ,
टीचर, लेकचर सभी भुलाएँ ,
हर दिन इक नयी कहानी बनाये ,
झूठ के हर रिश्ते अपनाएं ,
वफ़ा हटाकर हर व्यक्ति ने ,
बेवफाई दिल में है बसाई
इक दिन अनजाने में मिली सच्चाई ,
थोड़ी सहमी, थोड़ी घबरायी ….
अंकिता जैन
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12 Comments
thank you "kavitapustak" to publish my poem on homepage..:)
ReplyDeleteyet another good one.. keep up the good work!
ReplyDeleteHey...really nice one....gud luck for next one....
ReplyDeletekeep it up...<>
Kanchan @ thanks...:)
ReplyDeletekailash @ thanks..:)
it's really nice...god bless you
ReplyDeletesatish @ thanks
ReplyDeleteGood one, Liked it :)
ReplyDeletethoughts beyond any1 imagination actually can say AWESOME!!!
ReplyDeletegaurav @ thanks.:)
ReplyDeletevikas @ thanks.:)
The last six lines are fabulous. keep on
ReplyDeletethanks...:)
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