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फितरत -ए- मोहब्बत
- पुनीत
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में कवी नहीं इसलिए कविता नहीं लिखता,
लिखता हु हकीकत इसलिए सपना नहीं लिखता,
मेरी कलम रुक जाती है मेरे ही आंसुओं पे;
इसलिए सिर्फ खुशिया है ,
क्युंकी में गम नहीं लिखता |
कई ज़माने बीते,
अब में परवाह नहीं लिखता,
गुजरे जमानो के हालत नहीं लिखता,
में रोता हु आज के ज़माने की वफ़ा देखकर,
इसलिए वफादार हु ,
क्युंकी में मोहब्बत नहीं लिखता |
दिल साचा है इसलिए दिलदार नहीं लिखता ,
छूट न जाये कोई किरदार
लेकिन कोई कहानी नहीं लिखता ,
टूटा था आशियाना मेरा ,
लेकिन दिल में अरमान अब बी बहुत है ,
पर अब में प्यार की फितरत नहीं लिखता ||
~~ पुनीत ~~
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1 Comments
nice poem...
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