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महफ़िल - ए - मोहब्बत - अंकिता जैन (भंडारी)
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आपकी महफिल मे आकर ही अब,
इस दिल को सुकून आता है ।
बिन आपके जीने के ख्याल से,
अब ये दिल डर जाता है ।
क्यू हर ख्याल मे अब सिर्फ्,
आप नज़र आते है ।
मेरे सारे लफ्ज और दिल कि हर धडकन,
सिर्फ आपका नाम गुनगुनाते है ।
अब तो ये दिल भी मुझे,
आपके नाम से सताता है ।
आपकी महफिल मै आकर ही अब,
इस दिल को सुकून आता है ।
थी जिस खुशी की बर्षो से चाह,
अब अपनी होती नज़र आती है ।
अब आपके होने कि आहट ही,
मेरे बर्षो की प्यास बुझाती है ।
जाने क्यू अब ये दिल,
आपकी जुदाई से डरता है ।
ना देंगे कभी वो रुसवाई,
अब हर पल मुझसे ये कहता है ।
वो कहते है मुझसे , क्यू-
इतना यकीन तू करती है,
क्या कहू मै जब ये दिल भी जब उन्ही के लिये धडकता है........
आपकी महफिल मे आकर ही अब इस दिल को सुकून मिलता है.................॥
~~ अंकिता जैन ~~
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