Kya hum Kamzor hai - Ankita jain

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"क्या सच में हम कमज़ोर हैं"
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मिलाकर हाथ जब खड़े थे हम,
गोरों की सेना से लड़े थे हम !
सीमा के बहार उन्हें खदेड़ा था,
जतलाया था उन्हें की "हिन्दुस्तान" न तेरा था !!

तो फिर क्यूँ आज हम कमज़ोर हैं,
क्यूँ पाले हमने अपने ही घर में चोर हैं !
किसको पता था की कलयुग का चरखा एसा चलेगा,
माँ का अपना लाल ही उसका कातिल बनेगा !!

हम ही तो ज़िम्मेदार हैं इन काले अंग्रेजों की उत्पत्ति के,
आज नहीं रहे हकदार हम अपनी ही संपत्ति के !
न बिगड़ा है कुछ जगा लो अपने दिल में गाँधी और भगत आज,
और उतार कर हाथों की चूड़ियाँ गिरा दो अन्याय पर गाज !!

~~ अंकिता जैन ~~

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