________________________________
शिव का धनुष
________________________________
शिव का धनुष
________________________________
विद्यालय में आ गए इंस्पेक्टर इस्कूल
छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल
विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे
किसने तोड़ा शिव का धनुष बताओ बेटे
छात्र सिटपिटा गया बेचारा, धीरज छोड़ा
हाथ जोड़कर बोला, सर, मैंने न तोड़ा
उत्तर सुनकर आ गया, सर के सर को ताव
फौरन बुलवाए गए हेड्डमास्टर सा'ब
हेड्डमास्टर सा'ब, पढ़ाते हो क्या इनको
किसने तोड़ा धनुष नहीं मालूम है जिनको
हेडमास्टर भन्नाया, फिर तोड़ा किसने
झूठ बोलता है, ज़रूर तोड़ा है इसने
इंस्पेक्टर अब क्या कहे, मन ही मन मुस्कात
ऑफिस में आकर हुई, मैनेजर से बात
मैनेजर से बात, छात्र में जितनी भी है
उससे दुगुनी बुद्धि हेडमास्टर जी की है
मैनेजर बोला, जी हम चन्दा कर लेंगे
नया धनुष उससे भी अच्छा बनवा देंगे
शिक्षा-मंत्री तक गए जब उनके जज़्बात
माननीय गदगद हुए, बहुत खुशी की बात
बहुत खुशी की बात, धन्य हैं ऐसे बच्चे
अध्यापक, मैनेजर भी हैं कितने सच्चे
कह दो उनसे, चन्दा कुछ ज़्यादा कर लेना
जो बैलेन्स बचे वह हमको भिजवा देना
~~ काका हथरसी ~~
________________________________
2 Comments
Superb !!!!!!
ReplyDeleteI memorized this poem when i was in 3rd stdd (1982) and it is still etched in my memory
ReplyDelete