Premi Ke Notes - Akhter Ali

प्रेमी के नोट्स
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नास्तिक है वो सब
जो खड़े है
प्रेम के विरोध में !
प्रेम से सहमत न होना
स्वय से असहमति है !
जो खुद का नहीं
वो खुदा का नहीं !
रोजे नमाज
पूजा अर्चना
सब दिखावा है
ढोंग है
उनके लिए जो खड़े है
प्रेम के खिलाफ !
कैसे हो स्वीकार की
किसी को प्रेम भी
अस्वीकार है !
सावधान
उनसे नजदीकी क्यों
जिनकी प्रेम से दूरी है !
वो टूट जायेगा
जो जुडा नहीं
जो भीगा नहीं
वो खिलेगा कैसे ?
छंद अलंकार अनुप्रास
न खोजियेगा
ये कवि के नहीं
प्रेमी के नोट्स है !

~~ अखतर  अली ~~
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