Aaj kuch likhne ka dil kar raha - Kuldeep Sahoo


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आज कुछ लिखने का दिल कर रहा
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 आज कुछ लिखने का दिल कर रहा है...
आंखो मे छिपा है कोई सागर जो खुद ही बह रहा है...
अनचाहा दर्द जिसे दिल खुद ही सह रहा है...
आज फिर कुछ लिखने का दर्द कर रहा है...

हर गम के पीछे अब बहाना एक ही है...
दिल है एक तरफा रास्ता आना जाना एक ही है...
पर जो अंदर आज्ञा उसे बात बताना एक ही है...
इस रास्ते पर से लौट कर जाना एक ही है...

किसी के आने और जाने पर हक़ जाताना मुश्किल है...
किसी के आने की खुशी और जाने का गम जाताना भी मुश्किल है...
किसी के लौट जाने पर अफसोस जाताना मुश्किल है...
किसी के चले जाने के बाद उस रास्ते पीआर चल पाना मुश्किल है...

छोड़ वो पुराना रास्ता कोई नया देख अब हर कोई कह रहा है...
शायद कोई अपना उस रास्ते पर रहा है...
पुराना रास्ता है मुझको प्यारा ये मेरा दिल कह रहा है...
आज फिर कुछ लिखने का दिल कर रहा है...

" कुलदीप साहू "
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