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आज के दानव - विकास चन्द्र पाण्डेय
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हमने सोचा हम मानव हैं, दानव सभी दिए हैं मार!
कभी न सोचा था, फिर होंगे कलउगी दानव से दो-चार!!
भ्रस्टाचार, दहेज, आतंकवाद, ग़रीबी, होंगे नये दानव प्रहार !
सोच रहे हैं सभी, फिर होगा राम-कृष्ण, गाँधी अवतार,
हम क्यों इतना सोचे जब, फिर आएगा तारनहार!
लेना-देना रीत आज की, इसको मत लो दिल पर आज,
भूख और बमो से मरना, अब तो छोटी- मोटी बात!
संस्कार की बात न करना, बची नही अब कोई बात ,
दौड़ रहें हैं सभी यहाँ, मद-माया के पीछे आज!
इक तिलिस्म मे फसे सभी हैं, सब को बस अपनी दरकार,
जब कुछ होगा उल्टा-सीधा, कोसेंगे अपनी सरकार!
~~ विकास चन्द्र पाण्डेय ~~
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6 Comments
thnx a lot admin:-)
ReplyDeletesubarb vikas
ReplyDeletewelcome, Keep it up,keep writing such nice poems..
ReplyDelete@kavita pustak sure and thnx for making it so much imprasive with the help of such a nice snap...
ReplyDeletereally nice words.
ReplyDelete@ankita thnx for your appreciation :-)
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