________________________________
प्रिय पिताजी - अंकिता जैन
________________________________
आपसे हमने सीखा कि होती क्या है जिंदगी,
आपने हाथ जो थामा तो पूरी हुई हर ख़ुशी !
कोशिश भी करूँ तो आपसा बनना मुश्किल है,
बिन आपके मंजिल पाना नामुमकिन है !
दी जो हर ख़ुशी आपने जब भी वो याद आती है,
ना चाहूँ रोना तो भी आँखे भर आती हैं !
मेरी हर मंजिल हर ख़ुशी पूरी थी आपके साथ,
आप ना हो तो सब कुछ होकर भी लगते खाली हैं मेरे हाथ !!
कभी जो था आपका साया हर लम्हा मुझ पर,
आज भी नहीं हूँ अकेली फिर भी जाने क्यूँ लगता है डर !
गिरकर संभालना और संभलकर चलना आपने सिखाया है,
रहें हैं आप मेरी ज़िन्दगी में हर दम मेरी प्रेरणा बनकर !
मेरी गलतियों पर नाराज़गी जो मुझे दुःख देती थी,
पर उस दुःख को मिटाया भी आपने मुझे सीने से लगाकर !
मेरा हर सपना और मेरी हर राह पूरी थी आपके साथ,
आप ना हो तो सब कुछ होकर भी लगते खाली हैं मेरे हाथ !!
~~ अंकिता जैन ~~
6 Comments
superb ankita...really a touching one ...keep going :)
ReplyDeletethanks you vishal..:)
ReplyDeletevery nice :)
ReplyDeletethank you..:)
ReplyDeletei think this is your best poem. It's quite rare to show father's love in poem. I heartily appreciate your work.
ReplyDeleteThank you so much..:)
ReplyDelete