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कुछ ऐसा कर जाऊंगा - गौरव मणि खनाल
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जीवन पथ पर चलता चला जा रहा हु,
कभी सोच कर कभी बिना सोचे, कदम बढाये जा रहा हु,
जाना कहा है नहीं जनता हु, क्या पाना है नहीं पहचानता हु,
लेकिन हार मोड़ पर उम्मीद नयी जोड़ता हु,
हारना नहीं है,ये नदिया की धार से सीकता हु,
नदिया पर्वत के ह्रदय से निकलती है, आपना रास्ता आप बनती है,
कोई बाधा कोई अवरोध आये,नदिया नही रूकती
अविरल बहती जाती है, और अंत मै आपनी मजिल पाति है,
अनंत सागर मै समां जाती है,
पर अनंत से मिलने से पहले, धरती को आपनी निर्मल धारा से सीच जीवन दे जाती है,
मै भी एक नदिया जैसा बनुगा, आपना रास्ता आप बनाऊंगा,
हरूँगा नहीं रुकुंगा नहीं, अविरल बढ़ता जाऊंगा,
आपनी मजिल पाउँगा, एक दिन उस अनंत शक्ति मे मिल जाऊंगा,
पर आपने विलय से पहले, याद रखेगी ये धरती मुझको,
सत्कर्म ऐसा कर जाऊंगा, आपना नाम अमर कर जाऊंगा !!!
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~गौरव मणि खनाल ~
कभी सोच कर कभी बिना सोचे, कदम बढाये जा रहा हु,
जाना कहा है नहीं जनता हु, क्या पाना है नहीं पहचानता हु,
लेकिन हार मोड़ पर उम्मीद नयी जोड़ता हु,
हारना नहीं है,ये नदिया की धार से सीकता हु,
नदिया पर्वत के ह्रदय से निकलती है, आपना रास्ता आप बनती है,
कोई बाधा कोई अवरोध आये,नदिया नही रूकती
अविरल बहती जाती है, और अंत मै आपनी मजिल पाति है,
अनंत सागर मै समां जाती है,
पर अनंत से मिलने से पहले, धरती को आपनी निर्मल धारा से सीच जीवन दे जाती है,
मै भी एक नदिया जैसा बनुगा, आपना रास्ता आप बनाऊंगा,
हरूँगा नहीं रुकुंगा नहीं, अविरल बढ़ता जाऊंगा,
आपनी मजिल पाउँगा, एक दिन उस अनंत शक्ति मे मिल जाऊंगा,
पर आपने विलय से पहले, याद रखेगी ये धरती मुझको,
सत्कर्म ऐसा कर जाऊंगा, आपना नाम अमर कर जाऊंगा !!!
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~गौरव मणि खनाल ~
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1 Comments
it's good..
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