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ये कैसी तेरी माया है - गौरव मणि खनाल
Ye Kaisi Teri Maaya Hai
- Gaurav Mani Khanal
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ये कैसी तेरी माया है!!!
कहते है मुनि योगी साधू,
तू तो कण कण मे समाया है,
तुने ही आपनी माया से संसार को बनाया है,
फिर भी धरती की वेदना से तू अनजान है,
ये कैसी तेरी माया है,
कहते है धर्म ग्रथ सभी,
तू तो करुणा की खान है,
तू ही प्रेम मूर्ति और दया वन है,
फिर क्यों तेरा संसार बन रहा शमसान है,
क्यों है ये भेद भावों और
क्यों कोई दुखी और बीमार है,
ये कैसी तेरी माया है,
क्या नही देख सकता तू,
तेरी ही संतानों ने धरती का क्या हाल कर दिया है,
गंगा की धारा को मैला और हिमालय को नंगा कर दिया है,
कभी हरी भरी दिखती थी जो धरती,
उसको आपनो के ही खून से लाल कर दिया है,
तू जान कर भी सब अनजान बना है,
ये कैसी तेरी माया है,
कृष्ण को सबने मार दिया कंस को अमृत पिलाया है,
राम को सबने त्याग दिया रावन को आपना बनाया है,
हरी नाम की माला को फेक दिया बन्दुक को उठाया है,
धर्मं का साथ कोई नही चाहता केवल अधर्म ही एक सहारा है,
तेरे बनाये इस संसार मे तुझे कब कोई नही पूछता पैसे का खेल सारा है,
सच्चे का मुह कला और जूठे का बोल बाला है,
ये कैसी तेरी माया है,
अब प्रभु धरती को तेरा ही सहारा है,
धर्मं और मानवता को भी तेरा ही आसरा है,
योगी, मुनि, साधु, सत् पुरुष, पेड़, पक्षी सरे अब तेरी ही राह निहारते है,
तू आएगा आपनी असली माया देख्लायेगा इस उम्मीद मे रोज़ तुझे पुकारते है,
मत बन इतना कठोर, सुन ले पुकार हमारी,
आजा एक बार फिर इस धरती पर और दिखा दे
कैसी है माया तुम्हारी ll
कैसी है माया तुम्हारी ll
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