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राह कौन सी जाऊं मैं - अटल बिहारी वाजपेयी
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राह कौन सी जाऊं मै ?
चौराहे पर लूटता चिर ,
प्यादे से पित गया वजीर ,
चलूँ आखीरी चाल की बाज़ी या छोर विरक्ति रचूँ मै ?
राह कौन सी जाऊं मै ?
सपना जन्मा और मर गया ,
मधु ऋतू में ही बाघ जहर गया ,
तिनके बिखरे हुए बटोरूँ या नव सृष्टि सजाऊँ मै ?
राह कौन सी जाऊं मै?
दो दिन मिले उधार में ,
घाटे के व्यापार में ,
क्षण - क्षण का हिसाब जोरूं या पूंजी शेष लुटाऊं मै ?
राह कौन सी जाऊं मै ?
~~ अटल बिहारी वाजपेयी ~~
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