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अपने आप से मुलाकात - अंकिता जैन
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यूँहीं रस्ते में जाते हुए,
जब किसी का ज़नाज़ा देखा
तो लगा जैसे मैंने खुली आँखों से,
अपनी ही मौत का पैमाना देखा .
क्यूँ आये हैं हम इस दुनिया में?
ना जाना कभी उस हक़ीक़त को
पहचान ले खुद को है कहाँ भरोसा ज़िन्दगी का
ना जाने कब यमराज आकर कह दें बस
अब संग मेरे चलो
मिल जाना है इक दिन सब मिट्टी में,
हुआ यकीन जब उसको चार काँधों पर देखा
तो लगा जैसे मैंने खुली आँखों से,
अपनी ही मौत का पैमाना देखा
गँवा दिया वक़्त का हर पहलू
क्यूँ सिर्फ उंगली उठाने में,
क्यूँ नहीं की सिर्फ इक कोशिश
हकीक़त अपनी पहचानने में
बन गया अब बचपन इक किस्सा |
घूमा कुछ यूँ जब वक़्त का चरखा
तो लगा जैसे मैंने खुली आँखों से,
अपनी ही मौत का पैमाना देखा
~~अंकिता जैन~~
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6 Comments
beauty at its best....very nice
ReplyDeleteThank you...:)
ReplyDeletethanks for writing and sharing such kinda poems..
ReplyDeletereally loved it :)
Thank you so mcuh vishal..:)
ReplyDeleteThe answer of your question ( Kyu aaye hai ise duniya mein )
ReplyDeleteYun toh aasma ka kinara har manjil pe utna hi dur najar aata hai,
Par mukadar nahi hai itna chota sa afsana.
Yun toh insan ka mukadar hai mithi me mil jana,
Par haqiqat nahi hai itna chota sa afsana.
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nice answer..
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