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इस दौड़ में - नेहा सिंह
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जिन्दगी एक दौड़ है ,
इस दौड़ को तुम जन लो
इस दौड़ में अकेली हु मै,
आकार मेरा हाथ तुम थाम लो
हाथ में दिया लेकर घुमती हु मै यहा
इस दौड़ में अकेली हु मै,
आकार मेरा हाथ तुम थाम लो
हाथ में दिया लेकर घुमती हु मै यहा
ढूंडती हु तुम्हे पुकारती यहा वहा
कहा हो तुम, कहा हो तुम
न जानती हु
कहा हो तुम, कहा हो तुम
न जानती हु
न तुम्हे पहचानती हु मै
तुम्हे फिर भी आवाज लगाती हु ,
कहा हो तुम ,कहा हो तुम||
कहा हो तुम ,कहा हो तुम||
~~ नेहा सिंह ~~
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