__________________________
मानव काया
मानव काया
अंकेश जैन
__________________________
कुछ तत्वों का संगम है
कुछ नियमो की शक्ति है
मानव काया इस श्रृष्टि की
एक अनोखी गुत्थी है
आयामों की सीमा में यह
सदा मध्य में आती है
जितनी छोटी आकाश गंगा से
अणु को उतना पीछे पाती है
सदियों के विकसित क्रम का यह
परिणाम अनोखा लगता है
रहे समय के किसी दौर में
सदा ज्ञान को तकता है
भाव, बिभाव, शक्ति, सौन्दर्यता
जीवन के आयाम यहाँ
ध्येय ज्ञान है, लक्ष्य ज्ञान है
जीवन में विश्राम कहा
~~ अंकेश जैन ~~
__________________________
2 Comments
bahut acchi panktiyan hai...
ReplyDeletejeevan ek aisa taufa hai jahan har chhan,har pal apko muskilon se jujhte hue , gyan liye ..sangharsh karte jaana hai...
Jeewan ek shangharsh hai...
true words.. great work brother.. :)
ReplyDelete