_____________________________________________
टूटता ख्वाब - अंकिता जैन (भंडारी)
_____________________________________________
आये थे वो मेरी ज़िन्दगी में , एक हसीं सपने की तरह .
कुछ पल ठहरे और चले गए ,
ओस की बूंदों की तरह .
क्या गिला करें उनसे ,
जब हमे किस्मत ने दगा दिया .
और समझकर हसीं ख्वाब
उसने हमे भुला दिया .
था वफाओं का जो महल ढहा ,
ताश के पत्तों की तरह .
आये थे वो मेरी ज़िन्दगी में , एक हसीं सपने की तरह .
नादाँ है ये दिल कहता है ,
वो वापस आयेंगे .
सीने से लगाकर मुझे अपने
हर शिकवे को मिटायेंगे .
कैसे यकीन दिलों इसे की ,
उसने तो हमे भुला दिया .
और एक पल में अपने से
बेगाना बना दिया .
बिखर गयी हर उम्मीद आज ,
रेट के टीले की तरह .
आये थे वो मेरी ज़िन्दगी में , एक हसीं सपने की तरह .
~~ अंकिता जैन (भंडारी) ~~
_____________________________________________
0 Comments