Saare Bandhan Tod Ke - Abhishek "Shekher"

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सारे बंधन तोड़ के तुझको आना होगा आज प्रिये 
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सारे बंधन तोड़ के तुझ को आना होगा आज प्रिये ,
सारे बंधन तोड़ के तुझ को आना होगा आज प्रिये ....
कितनी रातें करवट लेकर जगा हूँ तेरी यादों मैं,
तड़प नज़र आती है तेरी प्यारी प्यारी सी बैटन मैं ,
मुझे पता है तुमको दर है अपने पकडे जाने से ,
पर यह बाद्नामी अच्छी होगी घुट घुट के मर जाने से ,
पाप नहीं यह पुण्य प्रवाह है क्यों करती हो लाज प्रिये,
सारे बंधन तोड़ के तुझको आना होगा आज प्रिये |

मैं हूँ भाषा ,तुम हो शैली | तुम नैया, पतवार हूँ मैं ,
तुम हो रंग किसी मूरत का , और उसका आकर हूँ मैं ,
विरह की अग्नि मैं साँसें सांस नहीं ले पति हैं,
तुम हो मेरा प्यार प्रियतम और तुम्हारा प्यार हूँ मैं,
बिन उल्फत कहे की साँसें , बिन योवन कहे का जीवन,
बिन तेरे कहे की उल्फत बिन तेरे कहे का योवान ,
योवन की इस सारंगी पर छेड़ो तो कोई साज़ प्रिये ,
सारे बंधन तोड़ के तुझको आना होगा आज प्रिये |

ऐ चाँद सुनो तुम मेरा कहना ,  आज ज़रा खामोश ही रहना,
विरह की लम्बी साड़ों का पूरा होना है एक सपना ,
वो जब आयें छुप जाना तुम , देख हमें न ललचाना तुम ,
हम निकलें हैं प्यार को पाने , एक दूजे मैं गम हो जाने ,
तुम क्या जानो मदहोशी को , दिल की बातें दिल ही जाने ,
एक दूजे मैं खो जाने का कर दो अब आगाज़ प्रिये ,
सारे बंधन तोड़ के तुझ को आना होगा आज प्रिये |


~~ अभिषेक जैन "शेखेर" ~~

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