Chahat Ki Tapish - Ankita Jain (Bhandari)


______________________

चाहत की तपिश - अंकिता जैन
______________________

निकलता है लेकर चाहत-की-तपिश,
कि कभी तो उसका दीदार होगा !
पूरी होगी इन निगाहों की ख्वाहिश,
और पलकों को आराम होगा !

गुज़रता है वक़्त पर जब,ना मिलती कोई आहट !
तो बेसब्र किरणों में भी ,बड़ती है गर्माहट !!
सुलझा सा मन अब बसेरा उलझे ख़यालों का होगा,
मिलेगा दीदार या फिर आलम बेवफ़ाई का होगा !
पूरी होगी आखों की ख्वाहिश और पलकों को आराम होगा !!

अब तक ना आई, कोई खबर !
सिमटने लगी है अब, हर तरफ बिखरी नज़र !!
पर वो दीवाना आज फिर यही कहकर आख़िरी साँस लेगा -
मेरे इंतज़ार का सिलसिला ना कभी ख़तम होगा!
कल आऊंगा फिर इसी उम्मीद में उसका दीदार होगा !!
पूरी होगी आँखों की ख्वाहिश और पलकों को आराम होगा !!

~~ अंकिता जैन~~
______________________

Post a Comment

0 Comments