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पिता
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जिनकी उंगली पकड़ सिखा चलना,
जिनके सहारे से सिखा मुसीबतों से लड़ना,
जिन्होंने कर दिया त्याग आपने अरमानो का मेरे लिए,
दिन रात बिना आराम किया काम मेरी इच्छा पूर्ति लिए,
बनकर सच्चा दोस्त सदा मेरा साथ निभाया,
बनकर गुरु दुराहे पर सही मार्ग दिखाया,
बनकर भाई दुःख सुख मे गले लगाया,
बनकर योध्या जीवन संघर्ष का पाठ पढाया,
भूल गए आपने दर्द मेरी हँसी के लिए,
रोये अकेले मे मेरी उदासी के लिए,
थके नहीं कभी मेरे संग संग चले,
कैसे हो हालात हाथ कभी नही छोड़े,
माँगा नही रब से कभी कुछ आपने लिए,
मेरी ही ख़ुशी बस एक चाहत उनकी,
त्याग समर्पण नि:स्वार्थ प्रेम,
पिता और ईश्वर मे नही कोई भेद,
नहीं हो सकता है वर्णन पिता के उपकारो का,
नहीं हो सकता है वर्णन पिता के बलिदानों का,
करू जितनी भी वंदना पिता के पावन चरणों की,
नहीं गा सकता हु महिमा भगवान स्वरूप पिता की,
बस इतनी विनती करता हु परम दयालु भगवान से,
दुःख ना आये कभी मेरे पिता के भाग्य मे,
बना देना लायक इतना है परमेश्वर,
की दे सकु सारी खुशिया और सुख आपने पिता भगवान को..
~~ गौरव मणि खनाल ~~
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1 Comments
wa sir ji wa u r great.............
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