Fool Aur Kaata - Kusum

 ____________________

फूल और काँटा
____________________

फूल और काँटा
जन्म लेते है एक ही जगह
एक ही पौधा उन्हें है पालता
उन पर चमकता सूर्य भी एक सा
एक सी वह किरणे है डालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी एक सा
एक सी वह चांदनी है डालता
मेघ भी उन पर बरसता एक सा
एक सी उन पर हवाएँ भी बही |

एक ही पौधे से लेकर जन्म भी
पर कर्म उनके होते नहीं एक से
छेद कर काँटा किसी की अंगुलियाँ
फाड़ देता है किसी का वर-वसन
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भौरों को अपना अनूठा रस पिला
एक खटकता है सबकी आँख में
दूसरा सदा देवो के सर चढ़ा |

था वही आकाश, किरणे थी वही
सूर्य दोनों के लिए था एक ही
भिन्न थे पर भाव उनके
इसलिए उनकी दशा भी भिन्न थी
ऐ हमारे देश के प्यारे युवक
ठीक ऐसा ही तुम्हारा हाल है
दृष्टी तुम पर पड़ रही संसार की
इस तरफ भी क्या तुम्हारा ख्याल है |

~~ कुसुम ~~
____________________


Post a Comment

0 Comments