Zakhm Hriday Ke Kured Raha - Azad Bhagat

______________________

जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
______________________

आज मैं बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा

जज्बातों के कुछ बंधन है
जो देते मुझको उलझन है
उलझन में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा

मैं भी कैसा दीवाना था
औरो में खुश रहता था
अपनों में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा

~~ आजाद भगत ~~
______________________

Post a Comment

0 Comments