सरहद
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सरहद की हर हद पर तुम हो,
दुश्मन की हर जिद पर तुम हो !
लेते हैं जो स्वतंत्र सांस हम,
उस हर सांस के रक्षक तुम हो !
कभी कारगिल में रखवाली,
या हो बम्बई की गोली-बारी !
इनसे जो बेफिक्र बनाये,
उस हर सोच के रक्षक तुम हो !
धरती कांपे या आये सुनामी,
हो जीवन की आँखों में पानी !
हर मुश्किल से राहत देकर,
उस राहत के रक्षक तुम हो !
करते हैं झुककर सलाम हम,
तुम हो तो न कभी गुलाम हम !
कभी जो खाए डर हम सब को,
उस ज़ालिम डर के भक्षक तुम हो !
दुश्मन की हर जिद पर तुम हो !
लेते हैं जो स्वतंत्र सांस हम,
उस हर सांस के रक्षक तुम हो !
कभी कारगिल में रखवाली,
या हो बम्बई की गोली-बारी !
इनसे जो बेफिक्र बनाये,
उस हर सोच के रक्षक तुम हो !
धरती कांपे या आये सुनामी,
हो जीवन की आँखों में पानी !
हर मुश्किल से राहत देकर,
उस राहत के रक्षक तुम हो !
करते हैं झुककर सलाम हम,
तुम हो तो न कभी गुलाम हम !
कभी जो खाए डर हम सब को,
उस ज़ालिम डर के भक्षक तुम हो !
~~ अंकिता जैन ~~
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