चुटकी भर आंसू और मुठ्ठी भर ख़ुशी ;
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थोड़े से अरमाँ , ख्वाहिशें नयी ;
सितारों की चाहत है किसको यहाँ ;
लकीरों से ज्यादा है माँगा कहाँ ;
सुलगते मनुजमन के अरमाँ यही;
चुटकी भर आंसू और मुठ्ठी भर ख़ुशी॥
परश्तिश बुतों की हैं करते वही ;
लकीरों से नाखुश जो रहते सदा ;
वीरानी राहें डराती उन्हें ;
सरलतम सफ़र चाहे फूलों भरा ;
मगर उनको मिलता है अक्सर वही ;
चुटकी भर आंसू और मुठ्ठी भर ख़ुशी ॥
- देवेन्द्र शर्मा -
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2 Comments
really gud! lukin 4ward 2 more of ur postings here :) :)
ReplyDeleteThanx a lot:)
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