Us chaukhat se - Devendra Sharma

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उस चौखट से 
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उस चौखट से वो अंतिम मुलाकात थी ,
कुछ ख्वाबो का दरिया , सपनीली रात थी ,
कहना बहुत था ,सुनाने थे किस्से ,
यादों ने रखे थे अनजाने हिस्से ,
बेबस सी रोती वो चौखट दुखी थी ,
बांटी थी खुशिया जो ,शायद छिपी थी ,
जो अरमाँ संजोते थे अक्सर इकठ्ठे ,
जो नज़्मे लिखी थी यूँ लड़ते झगड़ते ,
वो रूठे मनाते , वो किस्से सुनाते ,
बारिश में मिलकर वो बूंदे चुराते ,
वो सिसकी वो आंसू जो बहते से उसपे ,
वो आंगन के पौधों से तितली उड़ाते ,
वो ममता का आँचल वो अपनों सा रिश्ता ,
वो अश्को की ज्वाला में अरमाँ झुलसते ,
कुछ छूटी हुई सी अनकही बात थी ,
हाँ उस चौखट से वो अंतिम मुलाकात थी ...
~~ देवेन्द्र शर्मा ~~ 
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