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जीले फिर ज़िन्दगी - अंकिता जैन "भंडारी"
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हो न तू उदास और होसला न खो,
होते नहीं मायने बसंत के गर पतझड़ न हो !
बन जाओ बागवां अपने जीवन की बगिया के,
महकादो रंग बिरंगे फूल खुशियों के ,
पर न होना उदास जब काटें आयें,
होते नहीं मायने गुलाब के गर काटें न हों !
समेट ले अब बिखरी खुशियाँ कुछ इस तरह,
पिरोये हों माला में फिर मोती जिस तरह,
पर न होना कभी उदास गर फिर वो धागा टूटे,
होते नहीं मायने बुलंदी के गर कमजोरी न हो !
दुनिया के इस सागर में सबको तेरा मान,
ना बांध रिश्तों को बंधन में, ना पराया जान,
मुस्कुरादे कुछ ऐसे की वो किसी की ख़ुशी बन जाये,
होते नहीं मायने मुस्कान के गर आँसूं ना हों !
~~ अंकिता जैन "भंडारी" ~~
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