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माँ
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पल पल बदलते इस संसार मे,
हर रिश्ते को बदलते देखा,
प्यार को तकरार मे,
अपनो को अंजानो मे बदलते देखा,
दूप को छाव मे,
छाव को दूप मे बदलते देखा,
बचपन को जवानी मे, और अब
जवानी को भी ढलते देख रहा हु,
पर इन सब बदलाव एक बिच,
एक साथ कभी ना बदला,
मेरी माँ का साथ कभी ना बदला,
छोड़ गए जब सब तनहा,
दोस्त बनकर माँ साथ आई,
टुटा जब मन कोई सपना,
हमदर्द बनकर माँ मेरे साथ रोई,
खाया धोखा इस दिल ने जब,
प्यार लेकर सारे संसार का माँ आई,
कभी जब मन अशांत अधीर हुआ,
धीरज ले आँचल मे माँ आई,
हर मुश्किल हार परेशानी मे,
होसला नया लेकर माँ आई,
डगमगाए कदम जब भी मेरे इस जीवन दौड़ मे,
साहरा बनकर साथ मेरी माँ आई,
लगने लगी जब जिंदगी एक बोझ,
उम्मीद नयी लेकर माँ आई,
कब जब हार से टुटा दिल,
प्रेणना नयी बनकर माँ आई,
कभी जब रोया सोच जीवन की आप धापी,
शांति लेकर गोद मे मेरी माँ आई,
नहीं ऐसा कोई पल इस जीवन मे,
जब माँ का साथ ना मिला हो,
कैसी भी परिस्तिथि हो,
हर परिस्तिथि मे रूप बदल बदल साथ मेरी माँ आई,
बेमानी होगा माँ के उपकारो को शब्दों मे ढालना,
नहीं कोई शब्द इस दुनिया मे जो दे माँ को कोई उपमा,
नहीं होगा मुमकिन जीना,
कभी माँ मेरी जो रूठ गयी,
पर जानता हु मे ये भी सच है,
जाना है हम सबको एक दिन,
नियम कठोर विधाता ने बनाया है,
बस मांगता हु इतना ही उस भगवन से,
गर दे जन्म आगे फिर कभी मुझे,
मिले जन्म इस्सी माँ की कोख से मुझे..
~~ गौरव मणि खनाल ~~
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