| अब अकेले चलना होगा चला हु अब तक ऐ दोस्त तेरे साहरे, पर चलना होगा अब मुझे अकेले, अपने कर्मो के फलो को भोगना होगा, बन्धु मेरे अब अकेले चलना होगा, तेरी कमी हर पल सताएगी, हँसी पुरानी फिर चेहरे पर नही आएगी, पर यादो को संजोना होगा, यार मेरे अब अकेले चलना होगा, कभी शाम तनहा रुलाएगी, सच कहता हु तेरी याद बहुत आएगी, पर बनाकर दोस्त आपने अकेलेपन को, सखा मेरे अब अकेले चलना होगा, जीवन का पथ ही ऐसा है, हर मोड़ पर कुछ मिलता कुछ खोता है, मिलने छुटने के फेरो से अब निकलना होगा, साथी मेरे अब अकेले चलना होगा, अब आपनी पहचान बनानी होगी, जीवन संघर्ष की लड़ाई अकेले लड़नी होगी, जीत कर इस लड़ाई को तेरा मान रखना होगा, दोस्त मेरे अब अकेले चलना होगा, दुनिया की चालो को पढना होगा, धर्मं आर्थ काम मोक्ष को साधना होगा, मानुष जन्म को सफल बनाना होगा, मित्र मेरे अब अकेले चलना होगा,
गौरव मणि खनाल. |
2 Comments
Really nice one
ReplyDeleteAwsum
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