Kuch lamhe chura le raaton se - Mamta Sharma

" कुछ लम्हे चुरा लें रातों से "
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कुछ लम्हे चुरा लें रातों से 
छिप छिप कर चलो उड़ जाएँ हम 
इस राग रंग के झंझट से ,
कुछ देर किनारा पायें हम . 
कुछ लम्हे चुरा लें रातों से 

कुछ देर करें बातें अपनी 
कुछ देर सुनें उनकी बातें .
कुछ दर्द के लम्हे हों लब पर 
कुछ हों खुशियों की सौगातें 
कुछ भी ना छिपायें मन में हम 
 कुछ लम्हे चुरा लें रातों से .
कभी करें पुरानी याद नई 
कभी लें आहट आगत की भी 
कभी बुनें नए से स्वप्न ढेर 
कभी ले का आयें सुबह नई 
इन सारी बातों की खातिर 
कुछ लम्हे चुरा लें रातों से 

ओ मेरे बेकल मन तू भी 
कुछ ठौर तो पा ले एक घडी 
यूँ दौड़ता ही जो जाएगा 
एसे तो तू थक जाएगा 
रुक सुन ले इनकी बात अभी 
कुछ लम्हे चुरा लें रातों से 
~~ ममता शर्मा ~~

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1 Comments

  1. प्रिय सदस्य,

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